हज़रत-ए-शैख़ अब्दुल अह्द सरहिन्दी
रहमतुह अल्लाह अलैहि
हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि सरहिंद में पैदा हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के वालिद का नाम ज़ीन इला बदीन था। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इबतिदाई तालीम अपने वालिद से हासिल की इस के बाद आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने अपने वालिद साहिब से कहा कि मुझे किसी ऐसे बुज़ुर्ग के पास ले चलें जिन को रूहानियत में आला मुक़ाम हासिल हो। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के वालिद साहिब ने कहा कि बेटा बुज़ुर्ग घर बैठ कर नहीं मिलते उन को तलाश किया जाता है। इस पर हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने अपने वालिद से कहा तो फिर आप किसी वली कामिल की तलाश में मेरी मदद कीजीए ताकि में अपनी मंज़िल पासकों।
एक रोज़ हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि को ख़ाब में एक बुज़ुर्ग नज़र आए जो उन को कह रहे थे कि शेख़ अबदालाहद जल्दी से गंगोह चले आओ। सुबह बेदार हुए तो ये ख़ाब अपने वालिद साहिब को सुनाया तो उन्हों ने कहा कि अल्लाह ने तुम्हारी रहबरी के सामान पैदा करदिए हैं क्योंकि गंगोह में शेख़ अबदुलक़ुद्दूस रहमतुह अल्लाह अलैहि बहुत बड़े और बलंद पाया बुज़ुर्ग हैं। अब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का दिल चाहता था कि किसी तरह उड़ कर गंगोह पहुंच जाऊं। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के वालिद आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की इस बेचैनी से बड़े परेशान थे इस लिए उन्हों ने गंगोह जाने का फ़ैसला करलिया। चुनांचे शेख़ ज़ीन इला बदीन आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को लेकर गंगोह रवाना गए।
जब दोनों बाप बेटा गंगोही के आस्ताने में दाख़िल हुए तो वहां शेख़ अबदुलक़ुद्दूस गंगोही रहमतुह अल्लाह अलैहि की हिदायत पर इन का ख़ादिम बारी बारी सब नए आने वालों को ख़ानक़ाह के अंदर दाख़िल कररहा था कि शेख़ अबदुलक़ुद्दूस रहमतुह अल्लाह अलैहि ने ख़ादिम से कहा कि आज नए आने वाले मेहमानों में दो फ़ारूक़ी सिलसिले के मेहमान भी हैं उन को मेरे पास भेजो। चुनांचे जब ख़ादिम ने आप को पुकारा तो हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि और उन के वालिद ज़ीन इला बदीन एक दूसरे को मानी ख़ेज़ नज़रों से देखने लगे और ये समझे कि शायद ये कोई दूसरे साहिबान होंगे लेकिन जब ख़ादिम ने दुबारा पुकारा तो आप समझ गए कि आप को ही पुकारा जा रहा है। चुनांचे आप इन्दर तशरीफ़ ले गए।
शेख़ अबदालाहद रहमतुह अल्लाह अलैहि को देख कर शेख़ अबदुलक़ुद्दूस रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया क्यों भई यहां आने के लिए अपने वालिद को क्यों तंग किया। अगर यहां आने की इतनी जल्दी थी तो अकेले चले आते। हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने कहा हज़रत तन्हा आने की हिम्मत ना थी। इस के बाद आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के वालिद आप को छोड़ कर वापिस सरहिंद चले गए। यहां हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि को एक अलैहदा हुजरा दिया गया जहां आप रहमतुह अल्लाह अलैहि इबादत किया करते थे मगर आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़ाहिश थी कि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को भी दूसरे दरवेशों के साथ रखा जाये। चुनांचे आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इस का इज़हार हज़रत अबदुलक़ुद्दूस गंगोही रहमतुह अल्लाह अलैहि से किया। हज़रत अबदुलक़ुद्दूस गंगोही रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया पहले आप उलूम देन की तालीम की मुकम्मल करलीं और शरीयत रसूल पर मुस्तहकम होजाएं फिर आप का शुमार अज़खु़द दरवेशों में होजाएगा। किसी कामिल उस्ताद से अपनी तालीम मुकम्मल करें फिर हमारे पास हाज़िर हूँ। हम तुम से हदीस, फ़िक़्ह, तफ़सीर और तसव्वुफ़ का इमतिहान लेंगे अगर तुम इस में पास होगए तो फिर तुम यहां रह सकते हो।
शेख़ का हुक्म पा कर हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि हुसूल-ए-इल्म के लिए सफ़र पर रवाना होगए और मुख़्तलिफ़ जगहों से दीनी उलूम हासिल किया। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने तफ़सीर , हदीस और फ़िक़्ह में भी महारत हासिल की। जब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि अपनी तालीम मुकम्मल करके वापिस गंगोह पहुंचे तो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को पता चला कि शेख़ अबदुलक़ुद्दूस रहमतुह अल्लाह अलैहि उस दार फ़ानी से रुख़स्त होचुके हैं तो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत अबदुलक़ुद्दूस गंगोही रहमतुह अल्लाह अलैहि के साहबज़ादे शेख़ रुकन उद्दीन रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर हुए और फ़ातिहा पढ़ी। शेख़ रुकन उद्दीन रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया हमें बाबा ने हुक्म दिया था कि जब अबदालाहद वापिस आए तो इस से हदीस,तफ़सीर,फ़िक़्ह और तसव्वुफ़ में इस का इमतिहान लेकर अपने पास रहने की इजाज़त दे देना। हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि हर इमतिहान देने के लिए तैय्यार थे चुनांचे शेख़ रुकन उद्दीन रहमतुह अल्लाह अलैहि ने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का इमतिहान लिया। हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि के जवाबी दलायल और वज़ाहतें सन कर शेख़ रुकन उद्दीन रहमतुह अल्लाह अलैहि हैरान रह गए और उसी वक़्त आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को सिलसिला चिश्तिया और सुहरवर्दिया का ख़िरक़ा ख़िलाफ़त अता फ़रमाया और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को रहने की इजाज़त दे दी।
हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि ज़हदोतक़वा में बड़ी ही मारूफ़ हस्ती थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने शेख़ रुकन उद्दीन रहमतुह अल्लाह अलैहि से तर्बीयत हासिल करने के बाद एक मुद्दत गोशा नशीनी में गुज़ार दी। इस के बाद आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने हदीस, फ़िक़्ह और तफ़सीर की तालीम देना शुरू करदी। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि मस्जिद में बैठ कर सैंकड़ों शागिर्दों को ज़ेवर तालीम से आरास्ता फ़रमाते थे। एक रोज़ जब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि सिकंदरिया में वाज़ फ़र्मा रहे थे तो एक ख़ातून तक़रीर ख़त्म होने के बाद आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर हुई और कहने लगी कि मेरी छोटी बहन आप रहमतुह अल्लाह अलैहि से बहुत मुतास्सिर है और दीनी तालीम की बड़ी शौक़ीन है ।हम सब घर वालों ने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के औसाफ़ देखे हैं और चाहते हैं कि हमारी बहन की शादी आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के साथ होजाए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने ये बातें सुनने के बाद कहा कि में अक्सर जज़ब-ओ-सुकर की हालत में होता हूँ शादी करने के बाद ाइली ज़िम्मेदारीयां नहीं निभा सकता इस लिए मैंने शादी ना करने का फ़ैसला किया है।लेकिन इस ख़ातून ने हिम्मत नहीं हारी और संत रसूल से शादी की एहमीयत के हवाले से एक दिन आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को क़ाइल करलिया और यूं हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि की शादी इंतिहाई ख़ामोशी और सादगी से होगई। शादी के बाद आप रहमतुह अल्लाह अलैहि अपनी ज़ौजा मुहतरमा कूले कर गंगोह से सरहिंद आ गए।
हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने एक रात बड़ा अजीब ख़ाब देखा कि पूरी कायनात पर तार रेकी छाई हुई है। अजीब उल-ख़लक़त जानवरों के इलावा स्वर , बंदर और रीछ इंसानों पर हमला आवर होरहे हैं। नफिसा नफ़सी का आलम है। एक तरफ़ बदसूरत इंसानों की क़तारें लगी हुई हैं और उन को एक बड़ी क़द-ओ-क़ामत वाला शख़्स सज़ा दे रहा है। इस दौरान अचानक एक नूर हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि के सीने से निकलता है और पूरी दुनिया रोशन होजाती है। फिर बिजली कौंदती है जिस से सारे दरिंदे हलाक होजाते हैं। फिर सारा मैदान साफ़ कर दिया जाता है और इस पर एक तख़्त बिछा दिया जाता है जिस पर एक नूरानी शक्ल वाले बुज़ुर्ग आ कर तशरीफ़ फ़र्मा हो जाते हैं और उन के इर्दगिर्द नूरानी शक्ल वाले लातादाद बुज़ुर्ग खड़े होते हैं। फिर फ़रिश्तों की एक फ़ौज एक तरफ़ से आती है और सब की ज़बान पर क़राआन मजीद की एक ही आयत है जिस का मतलब है कह दो हक़ आगया और बातिल भाग गया और बातिल को भागना ही था। इस आवाज़ के साथ ही बहुत से लोग एक सिम्त से रोते हुए आते हैं और साहिब मस्नद के आगे अपने गुनाहों का एतराफ़ करते हैं और वो उन को सज़ाएं देते हैं। इस के साथ ही हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि की आँख खुल गई आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने अपना ये ख़ाब अपनी बीवी को सुनाया तो उन्हों ने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को मश्वरा दिया कि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर हूँ और उन को अपना ख़ाब बयान करें वो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को बेहतर मश्वरा देंगे।
हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि के पास पहुंचे और उन्हें अपना ख़ाब सुनाया। हज़रत शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि मुस्कुराए और फ़रमाया कि इस मर्तबा तुम्हारे हाँ जो फ़र्ज़ंद होगा वो कुफ्र वज़लमत का ख़ातमा करेगा और दीन की इशाअत-ओ-तब्लीग़ को जिला बख़्शेगा। जब वो पैदा हो तो फ़ौरन मुझे इत्तिला देना और उस वक़्त तक इस के मुँह में कोई चीज़ ना डालना जब तक में ना पहुंच जाऊं। हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि ये ख़बर सन कर ख़ुशी से सरशार होकर घर वापिस चले गए।
जब हज़रत-ए-शैख़ अबदालाहद सरहिंदी रहमतुह अल्लाह अलैहि के घर बेटे की विलादत हुई तो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने जाकर हज़रत शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि को इत्तिला दी चुनांचे हज़रत शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के साथ आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के घर तशरीफ़ ले आए। हज़रत शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि ने कीमीयाई नज़रें नोमोलूद पर मर्कूज़ कर दें और अनगशत-ए-शहादत बच्चे के मुँह में दीदी और फ़रमाया ये बच्चा तजदीद देन और रुहानी फ़ैज़ ख़लक़-ए-ख़ुदा को पहुंचाने के लिए पैदा किया गया है। नोमोलूद काफ़ी देर तक हज़रत शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि की उंगली चूसता रहा। हत्ता कि शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि बोले! बस कर बेटा कुछ हमारी नसल के लिए भी रहने दे तू ने तो हमारी निसबत लेली ही। यही वो बच्चा था जो बाद में मुजद्दिद अलफ़सानी कहिलाय और जिन्हों नेआदसाज़ और जलील-उल-क़दर बादशाह को अपने आगे सुरंगों कर लिया।
आप १७ रजब १००७ हिज्री को इसदार फ़ानी से रुख़स्त हुए।आप का मज़ार अक़्दस सरहिंद से शुमाल की जानिब एक मेल के फ़ासले पर वाक़्य है।